सागर । मप्र में पहली दफा लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने सेवानिवृत्त होने वाले नरसिंहपुर के डीएचओ सह प्रभारी सीएमएचओ को सीधे तौर पर संविदा नियुक्ति देकर सीएमएचओ बना दिया। प्रदेश का यह पहला मामला है, जब सीएमएचओ जैसे प्रशासनिक पद पर सीधे तौर पर संविदा आधार पर नियुक्ति दे दी गई है। आदेश जारी होते ही स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ प्रदेशभर के डॉक्टर इस आदेश विरोध कर रहे हैं। मप्र मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. डीके गोस्वामी ने विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर इस आदेश को निरस्त करने की बात कही है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को भेजे गए पत्र में एमपीएमओए के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. डीके गोस्वामी ने लिखा है कि प्रदेश में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए संविदा पर सेवानिवृत्त डॉक्टरों को रखे जाने का प्रावधान इसलिए किया गया है, ताकि अस्पतालों में मरीजों का इलाज करने के लिए पर्याप्त डॉक्टर मिल सकें और रिटायर्ड विशेषज्ञ डॉक्टरों की विशेषज्ञता से मरीजों को इलाज मुहैया होता रहे। शासन के नियमानुसार संविदा नियुक्ति विशुद्ध रूप से चिकित्सकीय कार्य के लिए होती है, न कि प्रशासनिक कार्य के लिए।
यह है मामला
दरअसल नरसिंहपुर में शनिवार को 29 फरवरी 2020 तक डीएचओ सह प्रभारी सीएमएचओ के चार्ज में डॉ. एनयू खान पदस्थ थे। वे शनिवार को सेवानिवृत्त हुए हैं। ठीक अगले दिन संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं के अपर संचालक द्वारा डॉ. खान को संविदा नियुक्ति देकर नरसिंहपुर में ही सीएमएचओ का प्रभार देने का आदेश जारी कर दिया गया।
प्रशासनिक पद पर संविदा नियुक्ति नहीं हो सकती
प्रदेश के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी की पूर्ति करने और मरीजों को रिटायर्ड विशेषज्ञ डॉक्टरों की विशेषज्ञता का लाभ दिलाने के लिए विभाग में संविदा आधार पर रिटायर्ड डॉक्टरों को रखने का नियम बनाया गया है। यह प्रशासनिक पद के लिए कतई नहीं है। ऐसी नियुक्ति से आप दूसरे वरिष्ठ डॉक्टरों के अधिकार और सीनियरिटी पर अतिक्रमण कर रहे हैं। डॉ. एनयू खान को अस्पताल में पदस्थ करें तो किसी को कोई आपत्ति नहीं है। सीधे संविदा आधार पर सीएमएचओ नहीं बनाया जा सकता। यह गलत है। हमने पीएस को पत्र लिखा है। प्रदेशभर में इस आदेश का विरोध शुरू हो गया है।
डॉ. डीके गोस्वामी, प्रदेशाध्यक्ष, मप्र एमपीएमओए