नौरादेही जहां प्राकृतिक सुंदरता के साथ होता है वन्य प्राणियों का स्वच्छंद दीदार

सागर। नौरादेही अभयारण वन्य प्राणियों के लिए प्राकृतिक आवास है। सागर से करीब 65 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच बसे इस अभयारण्य को प्रकृति ने बड़ी ही खूबसूरती से सजाया-संवारा है। यहां पर बाघ, भेड़िया, हिरन, चीतल, सांभर से लेकर दुर्लभ प्रजाति के पशु पक्षियों के नजदीक से दीदार किए जा सकते हैं। करीब 1197 वर्ग किलोमीटर में फैला नौरादेही प्रदेश के पन्नाा टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ नेशनल पार्क के प्राकृतिक कारीडोर से जुड़ा हुआ है। प्राकृतिक सौंदर्य की प्रचुरता और वन्य जीवों के लिए माकूल और सुरक्षित आवास को अब बाघों के बसेरे के साथ-साथ अफ्रीकन चीतों को भी प्राकृतिक आवास बनाने की तैयारी है। प्रदेश सरकार ने इस अभयारण्य को गांधी नेशनल पार्क बनाने के लिए प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।


 

राज्य सरकार के निर्देश के बाद सागर के नौरादेही वन्य प्राणी अभयारण्य को गांधी नेशनल पार्क बनाने के लिए कदम आगे बढ़ा दिए हैं। सोमवार को राजधानी में नौरादेही वनमंडल प्रबंधन ने इसे नेशनल पार्क घोषित कराने के लिए प्रस्ताव प्रदेश के पीसीसीएफ वन्य प्राणी कार्यालय भोपाल में सबमिट कर दिया है। अब यहां से कागजी खानापूर्ति के बाद प्रपोजल को केंद्र को भेजा जाएगा। इधर सरकार ने नौरादेही को नेशनल पार्क के रूप में घोषित करने के लिए इसलिए चुना है, क्योंकि यह बाघों के लिए प्राकृतिक आवास है। यहां पर अफ्रीकन चीतों को बसाने के लिए पिछले करीब 10 साल से तैयारी चल रही है और 8-8 फीट ऊंची घास के मैदान के साथ ही चीतलों का पुनर्स्थापन कराया गया है। यहां प्राकृतिक रूप से वह सबकुछ है जो नेशनल पार्क के लिए आवश्यक है। वाइल्ड लाइफ के लिहाज से यह अभयारण्य प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा और खूबसूरत पार्क होगा।