छतरपुर। महामारी घोषित हो चुका कोरोना वायरस हर तरफ तबाही मचा रहा है। कोरोना के कारण लॉक डाउन जैसे हालातों की कल्पना से घबराए लोग दैनिक उपयोग का अधिक से अधिक सामान एडवांस में खरीदकर घरों में रखने की जल्दी में हैं। वहीं बीमारी की अफवाह से पोल्ट्री फार्म व्यवसाय से जुड़े लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। कोरोना के प्रभाव से मंदी की चपेट में आए बाजार में अब उल्टा असर नजर आने लगा है। आने वाले दिनों में बाजार बंद हो जाने की अफवाहों के बीच लोग घबराहट में दो-दो माह के लिए जरूरत का सामान इकट्ठा करने में जुट गए हैं। शहर के किराना बाजार में जरूरी वस्तुओं की मांग तेजी से बढ़ने लगी है। देखा जाए तो शहर के किराना बाजार में पिछले एक हफ्ते से जरूरी वस्तुओं की खरीदारी में तेजी आ गई है। किराना व जनरल मर्चेंट कारोबारियों के अनुसार दाल, चावल, शक्कर, तेल, घी, आटा, मसाला, मैगी, पास्ता, पोहा, चाऊमीन, नमकीन, ड्राईफ्रूट जैसी रोजमर्रा में उपयोग होने वाली खाने-पीने की वस्तुओं में ग्राहकी तेजी से बढ़ गई है। बढ़ती मांग के कारण कारोबारियों के पास मौजूद पुराना स्टॉक भी तेजी से निकल रहा है। कारोबारियों की मानें तो बाजार में अभी तो स्थिति काफी ठीक है। ऐसा भी नहीं कि वस्तुओं का उत्पादन व आपूर्ति कम हो। वहीं यदि इसी रफ्तार से खरीदारी चली तो आने वाले दिनों में बाजार में जरूरत की वस्तुओं की कमी हो जाएगी। अचानक खरीदारी में तेजी के कारण सप्लाई चेन का मैनेजमेंट गड़बड़ाने से दाम में बढ़ोतरी भी हो सकती है। मुनाफाखोर भी इस स्थिति का फायदा उठाकर जमाखोरी व अधिक दाम वसूली को बढ़ावा देने लगेंगे।
मांसाहार व्यवसाय पर कोरोना का सबसे ज्यादा असर पड़ा है। मांसाहार के सेवन से कोरोना के खतरे की अफवाह मात्र ने पोल्ट्री फार्म के कारोबार से जुड़े लोगों को रोजी-रोटी के लिए मोहताज कर दिया है। बाजार में यह अफवाह सरगर्म है कि मुर्गा या अंडा खाने से कोरोना वायरस का संक्रमण बड़ी तेजी से फैल सकता है। इसका असर ये रहा कि सर्वाहारी लोग अब मांसाहार से तौबा करके शाकाहार को अपना चुके हैं। एक पखवाड़े पहले तक 120 रुपये किलो मुर्गा या 180 रुपये किलो में बिकने वाले चिकन पीस अब 60 रुपये किलो के भाव से लेने वाले भी नहीं बचे हैं। मुर्गा व अंडा के कारोबारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। हालांकि दुनियाभर में कोरोना का एक भी प्रकरण चिकन या अंडे के कारण होने का मामला सामने नहीं आया है। इसके बावजूद लोग इसे लेकर फैली अफवाह से खौफजदा हैं। इसका सीधा-सीधा फायदा बकरे यानी मटन बेचने वालों को हुआ है। चिकन खाने से परहेज करने वाले अब मटन की दुकानों पर पहुंच रहे हैं, जिससे 450 रुपये प्रति किलो में बिकने वाला मटन अब 600 से 650 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेचा जा रहा है।
कोरोना के डर से कांपी व्यवस्था
कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर प्रशासन अपनी जवाबदेही के प्रति सतर्क हो गया है। सार्वजनिक स्थानों पर आने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने प्रतिबंध का रास्ता अपनाया है। इसके तहत खजुराहो के पश्चिमी मंदिर समूह व धुबेला म्यूजियम के गेट पर ताला डल गया है। अनुराग सिटी मॉल और तीन सिनेमाघरों को बंद कर दिया गया है। आयोजनों पर प्रतिबंध लग गए हैं। खजुराहो में विदेशी सैलानियों की संख्या में तेजी से कमी आ गई है। आशंका है कि आने वाले दिनों में खजुराहो आने वाली फ्लाइट भी बंद कर दी जाएगी। इस तरह से प्रशासन द्वारा कोरोना से निपटने के लिए उठाए जा रहे एहतियात वाले कदमों से लोगों को यह खतरा सताने लगा है कि आने वाले दिनों में कहीं शहर लॉक डाउन की स्थिति में न आ जाए। यहां बता दें कि अभी तक प्रदेश सहित छतरपुर जिले में कोरोना से संक्रमित एक भी केस नहीं मिला है। फिर भी सुरक्षा कारणों से प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है।