देवरीकलां । देवरी तहसील के पटवारी हर रोज नए-नए चमत्कार कर रहे, इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है। वहीं बड़ी संख्या में किसान अपनी मेहनत की उपज का समर्थन मूल्य पर पंजीयन कराने से वंचित रह गए हैं। ताजा मामला ग्राम सिलारी का है। जहां एक किसान के खेत में चने की फसल खड़ी हुई है और किसान चने का पंजीयन कराना चाहता है, लेकिन पटवारी ने अपने घर बैठे गिरदावली में गेहूं की फसल दर्ज कर दी है। इससे किसान परेशान हो रहा है। पटवारी के चक्कर लगा रहा है और पटवारी हर रोज यह कहकर टरका देते हैं कि हमसे गलती हो गई और अब पोर्टल बंद हो जाने के कारण उसने संशोधन नहीं किया जा सकता है।
सिलारी गांव के किसान राजेंद्र मिश्रा और प्रेम सिंह ने बताया कि उनके खेत के खसरा नंबर 47/1 में रकवा 1.01और खसरा नंबर 61 में रकवा 0.71 में चने की फसल बोई है जो अभी पक कर तैयार हो रही है। वह सरकारी समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचने के लिए पंजीयन कराना चाहते हैं लेकिन पंजीयन नहीं हो पा रहा है। जब वह पंजीयन केंद्र पर पंजीयन कराने पहुंचे तो पोर्टल में उनके रकबे में गेहूं की फसल होना बताया गया। जब उन्होंने इस संबंध में पटवारी नीलेश आठ्या से बात की तो वह कहने लगे कि गलती से गेहूं की फसल दर्ज हो गई है और अब पोर्टल बंद हो जाने के कारण उसमें संशोधन होना संभव नहीं है।
किसान का कहना है कि जब उन्होंने गेहूं की फसल बोई ही नहीं है तो पटवारी ने कैसे उनके राजस्व रिकॉर्ड में गेहूं दर्ज कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया है कि पटवारी ने घर बैठे गिरदावली कर ली है, जिससे वह चने की फसल के लिए समर्थन मूल्य पर पंजीयन से वंचित रह जाएंगे और ओने-पोन दामो में अपनी फसल व्यापारियों के यहां बेचनी पड़ेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र भेजकर मांग की है कि देवरी क्षेत्र में ऐसे सैकड़ों किसान हैं, जिनकी गिरदावली पटवारियों की लापरवाही के कारण ठीक ढंग से नहीं हुई है जो फसल उन्होंने बोई है वह पटवारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। इससे किसान को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने पटवारी पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने मौके पर उनकी फसल का सत्यापन कर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कराने की मांग की है।
इस संबंध में हलका पटवारी नीलेश आठ्या का कहना है कि पुराने पटवारी का ट्रांसफर हो जाने के कारण मुझे कम समय मिला, इसलिए मैं मौके पर नहीं पहुंच पाया और रकबा पड़ती ना रह जाए इसलिए गिरदावली करा दी गई। वहीं तहसीलदार कुलदीप पाराशर का कहना है कि बिना गिरदावली पोर्टल देखें मैं कुछ नहीं कह सकता। पोर्टल देखकर ही कुछ बता पाऊंगा।