सागर । माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल ने रविवार को रवींद्र भवन में रतौना आंदोलन के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया। कार्यक्रम में रतौना आंदोलन के नायक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अब्दुल गनी के पुत्र रफीक गनी ने रतौना आंदोलन और इसमें भाई अब्दुल गनी के संघर्ष की पूरी कहानी बयां की। उन्होंने कहा कि अब्दुल गनी खान गोवंश की रक्षा के लिए इसलिए अपना सिर कटाने के लिए तैयार थे, क्योंकि वह दूसरे धर्म की आस्था का सम्मान करते थे। कार्यक्रम में डॉ. सुरेश आचार्य ने भी उनके संघर्ष और उनके जीवन के अनजाने पहलुओं से अवगत कराया।
विवि सोशल मीडिया की विसंगतियों और चुनौतियों पर करेगा वर्कशॉप
कार्यक्रम के आयोजक संस्थान माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति दीपक तिवारी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय दादा माखनलाल की आदर्श पत्रकारिता के स्तर और ध्येय को प्राप्त करने के लिए कार्यरत है। विश्वविद्यालय सोशल मीडिया में आई विसंगतियों और चुनौतियों को दूर करने के लिए भविष्य में वर्कशॉप जैसे कार्यक्रम आयोजित करेगा। कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता चतुर्भुज सिंह राजपूत ने एक प्रसंग का जिक्र करते हुए कहा कि श्री गनी के पिता ने ही उन्हें प्रेरणा दी थी कि दूसरे धर्म की आस्था और प्रतीकों का सम्मान ही सच्ची धार्मिकता है। इन्हीं आदर्श और संस्कार की वजह से अब्दुल गनी हिन्दुओं की आस्था के मुद्दे पर महा कत्लखाने के विरोध के अगुआ बने और सामुदायिक सौहार्द कि मिशाल पेश की।
महात्मा गांधी के आदर्श और जीवनयात्रा की प्रदर्शनी लगाई
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय द्वारा लगाई गई महात्मा गांधी के आदर्श और संघर्षमयी जीवन यात्रा को अभिव्यक्त करने वाले दुर्लभ चित्रों की एक पोस्टर प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही, इस प्रदर्शनी में विद्यार्थियों, युवाओं और गणमान्य नागरिकों ने राष्ट्रपिता के अनजाने पहलुओं को जाना। इसी प्रदर्शनी में रंग के साथी संस्था के संचालक असरार खान के विद्यार्थियों ने इस आयोजन में रतौना आंदोलन से जुड़े चित्र बनाकर प्रदर्शित किए जिन्हें काफी सराहा गया। कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानी शिवशंकर केसरी, श्यामल कला संस्थान के संचालक उमाकांत मिश्र व सभी वक्ताओं का सम्मान कुलपति तिवारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विवि के कुलसचिव दीपेंद्र बघेल, परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजेश पाठक एवं सहायक कुलसचिव विवेक सावरीकर भी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन विवेक सावरीकर ने किया एवं आभार कुलसचिव दीपेंद्र बघेल ने व्यक्त किया।