सागर । रंगों के पर्व को मनाने की परंपरा में अब धीरे-धीरे बदलाव होने लगा है। होली का त्योहार परंपरा से आधुनिकता की ओर जाने लगा है और जिले के कई लोग पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पेड़ों को बचाने अब कंडों की होली जलाने की परंपरा बनाने लगे हैं। नवदुनिया के अभियान आओ जलाएं कंडों की होली से जुड़ते हुए पेंशनर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने अपने बचपन के दिनों में मनाई जाने वाली होली की यादों का स्मरण करते हुए रोचक किस्से सुनाए। वहीं पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कंडों की होली जलाने व दूसरों को प्रेरित करने का संकल्प भी लिया।
मेरे जमाने की होली ...........
बाल्टी में गोबर घोलकर एक-दूसरे पर डालते थे
होलिका दहन के साथ शुरू हुआ रंगों का पर्व रंगपंचमी तक चलता था। होली जलने के साथ ही एक-दूसरे को रंगों के साथ-साथ एक दिन अलग से गोबर और कीचड़ लगाते थे। गोपालगंज लाल स्कूल के पास कई लोग घरों के बाहर पलंग डालकर सोते थे, जिसका फायदा उठाकर हम लोग उनके ऊपर रात में ही रंग व गोबर का घोल बाल्टी में भरकर डाल देते थे। यह पर्व सभी धर्म के लोग मिलकर मनाते थे, जिससे इसका अलग ही आनंद आता था। कंडों की होली जलाने का वैज्ञानिक तथ्य भी है और यदि कंडों की होली जलाएंगे तो पूरे भारत में लाखों-करोड़ों पेड़ कटने से बचेंगे और पर्यावरण दूषित नहीं होगा।
जेपी पांडेय, अध्यक्ष जिला पेंशनर्स समाज
वायुमंडल ज्यादा प्रभावित नहीं होगा
पुरानी पंरपरा के अनुसार होलिका दहन के समय गोबर के बल्लों की माला, कंडा आदि डाला जाता था। यदि कंडों की होली जलेगी तो इससे कम प्रदूषण होगा और कम पेड़ कटेंगे तो यह पेड़ लोगों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक साबित होंगे। गोबर से बने कंडे वायुमंडल को ज्यादा प्रभावित नहीं करते। कई लोग गोबर की होली खेलते थे, जिसका एक कारण यह है कि गोबर घरों के बाहर लीपने से मच्छर भी नहीं होते हैं। गौकाष्ठ की लकड़ियों से होली जलाई जाएगी तो पेड़ बचेंगे तो पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा।
एसके जैन, वैज्ञानिक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सागर
दाह संस्कार में भी होने लगी दिक्कत
वन संपदा को नुकसान से बचाना है। लकड़ी जलाने नहीं मिल पाती है। दाह संस्कार के लिए भी लकड़ी की समस्या खड़ी होने लगी है और इसलिए कई जगह लकड़ी के बदले इलेक्ट्रॉनिक मशीन के माध्यम से अंतिम संस्कार होने लगे हैं। जंगल नहीं रहेंगे तो पर्यावरण कैसे शुद्ध रहेगा। नवदुनिया की पहल आओ जलाएं कंडों की होली का हम स्वागत करते हैं और अब हम प्रचार करेंगे कि होली जलाएं, लेकिन उसमें लोग कंडों का उपयोग करें।
आरएस बादल
अभियान से प्रेरित होकर नवदुनिया से जुड़ा
गोबर मानव जीवन के लिए बहुत ही लाभकारी है। गोबर से बने कंडों की होली जलाने से हमारी पंरपंरा और पर्यावरण दोनों ही सुरक्षति रहेंगे। कंडों की होली जलाने के लिए नवदुनिया का अभियान मुझे बहुत ही पसंद आया, क्योंकि लकड़ी की अपेक्षा कंडों से पर्यावरण को इतना नुकसान नहीं पहुंचेगा और न ही कोई अप्रिय घटना सामने आएगी। हहम कंडों की होली जलाने का नेतृत्व करेंगे और बच्चों को भी प्रेरित करेंगे कि वह भी कंडों की होली जलाएं।