42 लोगों ने प्यास बुझाने के लिए दिए 100 रुपए

गढ़ाकोटा। नगर पालिका मुख्यालयों पर भले ही जलकर के रूप में 75 रुपये टेक्स देना पड़ता हो, लेकिन रहली जनपद पंचायत के बिछिया गांव के लोगों को पानी के नाम पर 100 रुपये महीने देने पड़ रहे हैं। नलजल योजना का वृहद सुधार योजना के तहत कुछ दिन पहले ही सुधार हुआ है। इसके बाद करीब 42 लोगों को पानी देने के लिए रसीद काटी गई हैं। इसके एवज में 100 रुपये महीने लिए गए हैं।


ग्राम पंचायत का कहना है कि यह रसीद मैंने नहीं काटी, वहीं पीएचई भी रसीद काटने से इनकार कर रही है। वहीं सूत्रों का कहना है कि पंचायत ने अभी नल-जल योजना को हैंडओवर नहीं किया है। नलजल योजना का संचालन गांव का ही एक व्यक्ति कर रहा है, जो पानी देने के नाम पर 100 रुपये महीने ले रहा है।


 

ग्राम पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि प्रहलाद कुर्मी का कहना है कि पंचायत के पीएचई ने सुधार कार्य की किसी तरह की जानकारी नहीं दी। लाखों रुपये की लागत से मरम्मत कार्य कराया दिया। हमने इसकी जानकारी पीएचई सब इंजीनियर से जानना चाही तो उन्होंने ग्राम सभा में योजना के संचालन की जवाबदारी सौंपने की बात कही। सरपंच प्रतिनिधि का आरोप है कि नल-जल योजना के तहत बिछाई पाइप लाइन पूरे गांव में नहीं बिछाई गई। इससे गांव के कुछ हिस्सों में लोग पानी के लिए परेशान रहेंगे। मेरी जानकारी के बिना 42 कनेक्शन दिए गए। कुछ लोगों की सौ रुपये की रसीद भी काटी गईं। कुछ लोगों ने यह बोर निजी जमीन पर किए जाने की शिकायत की है।


 

रसीद किसने काटी, कोई बताने को तैयार नहीं


बिछिया गांव में सुधार कार्य के तहत बोर व पाइप लाइन डाली गई। इसके बाद पानी की सप्लाई शुरू हुई। गांव में कुछ ऐसे भी लोग सामने आए, जिन्होंने पानी के एवज में सौ रुपये की रसीद देने की बात कही। यह रसीद पंचायत द्वारा नहीं काटी गई। लोगों का कहना है कि इसकी जांच होना चाहिए कि पानी सप्लाई के लिए इतनी राशि क्यों ली जा रही है। लोगों का कहना है कि पाइप पूरी पंचायत में भी नहीं डाली गई। जो नल लगाए हैं। वह भी बहुत कमजोर है। कई जगह तो हिलाने पर ही टोंटी बाहर व पाइप हाथ में आ जाता है।


सब इंजीनियर कर गए निजी संचालन व्यवस्था


पीएचई के सब इंजीनियर हरगोविंद कोरी सुधार कार्य के बाद इसके संचालन की व्यवस्था गांव के ही एक व्यक्ति को सौंप गए। उसने ही 42 लोगों को कनेक्शन दिए हैं। इसके एवज में 100 रुपये की रसीद दी गई। पंचायत ने रसीद नहीं है। इसकी जांच होना चाहिए। योजना पंचायत को हैंडओवर होना चाहिए।