मजिस्ट्रेट चेकिंग से हड़कंप, जुर्माने के डर से सड़कों पर कर्फ्यू जैसे हालात

सागर । शहर में लंबे समय बाद मोबाइल कोर्ट सड़कों पर उतरी। शहर में एक साथ पांच जगह मजिस्ट्रेट चेकिंग की गई। न्यायाधीश दलबल के साथ मकरोनिया चौराहे, सिविल लाइन, बस स्टैंड के पास, मोतीनगर चौराहे और अप्सरा अंडरब्रिज के पास वाहनों की चेकिंग करने लगे। कुछ समय तो लोगों को समझ नहीं आया, लेकिन दोपहर 12 बजते-बजते शहर के वाहन चालकों में हड़कंप जैसी स्थिति नजर आ रही थी। जो भी इन मार्गों से गुजरा उसका वाहन रोका गया। चेकिंग वाले स्थानों पर वाहनों की रेलमपेल और मेले जैसे हालात बन गए थे। कुछ समय के लिए तो मजिस्ट्रेट चेकिंग के कारण सड़कों पर कर्फ्यू जैसे हालात नजर आ रहे थे। लोग चालान के डर से इन चौराहों-तिराहों से बचकर निकल रहे थे। दिनभर में कितने वाहनों के चालान बने, कितना जुर्माना वसूला गया, रात आठ बजे तक यातायात पुलिस थाने व अधिकारियों के पास कोई आंकड़े नहीं थे। कोर्ट के अनुसार, एक दिन में 7 लाख 91 हजार रुपए से अधिक का जुर्माना वसूला गया है।


 

रविवार को मोबाइल कोर्ट ने अभियान के तहत सागर में पांच जगह वाहनों की चेकिंग, दस्तावेजों का परीक्षण करने के लिए अभियान चलाया था। पांचों जगह न्यायाधीशों और स्टाफ को बैठने के लिए टेबल-कुर्सी लगाई गई थी। पुलिस महकमा और ट्रैफिक पुलिस का अमला इन जगहों पर चौकस था। सबसे ज्यादा दुपहिया वाहनों की धरपकड़ की गई। बाइक पर तीन सवारियां, ओवरलोड ऑटो-चैम्पियन, मालवाहक वाहनों में ओवर लोडिंग, चार पहिया वाहनों में हूटर, जनप्रतिनिधियों की नेम प्लेट सहित अन्य स्तर पर चेकिंग की गई। इसमें अमूमन 90 फीसदी वाहन धरे गए और उनके चालान भी बनाए गए। मोतीनगर तिराहे, बस स्टैंड और अप्सरा अंडर ब्रिज के पास जब पुलिसकर्मियों ने वाहनों को रोकना प्रारंभ किया तो कई लोग नेतागिरी और राजनीतिक रसूख दिखाने से भी पीछे नहीं रहे, लेकिन किसी की एक न चली। दर्जनों लोगों को तो वाहन सड़क पर छोड़कर तक जाना पड़ा।


 

किसी के पास लायसेंस, तो किसी के पास कागज नहीं थे


दुपहिया वाहनों की चेकिंग के दौरान अमूमन 90 फीसदी लोग कुछ न कुछ डिफॉल्टर निकले। किसी के पास लायसेंस नहीं था, तो कोई साथ में लेकर नहीं चल रहा था। किसी के पास गाड़ी के कागज नहीं थे, तो जिनके पास कागज थे, उनके पास वाहन का बीमा नहीं था। इसी प्रकार सबसे ज्यादा बगैर हेलमेट के वाहन चलाने के कारण चालान भरने पड़े हैं। कई युवा ऐसे भी निकले जिनके पास चालान भरने के पैसे नहीं थे, फोन कर परिजन को बुलाया और चालान जमा किया। इस दौरान तरह-तरह की समस्याएं व बहाने भी सामने आए। कोई संडे को प्रैक्टिस पर जाने का बहाना बनाता नजर आया तो कोई अस्पताल में परिजन के भर्ती होने और जल्दी जाने की बात पुलिसकर्मियों से अनुनय-विनय करता नजर आ रहा था। एक सरदार जी को पुलिसकर्मी ने बगैर हेलमेट के रोका तो मजिस्ट्रेट खुद बोले, ये पगड़ी पहने हैं, हेलमेट कहां पहनेंगे, इन्हें जाने दो।


नंबर प्लेट की जगह विधायक प्रतिनिधि की नेम प्लेट


मोतीनगर चौराहे पर एक स्कार्पियो कार को रोका गया। इसमें नंबर प्लेट की जगह नेम प्लेट लगी थी। इसमें बड़े-बड़े अक्षरों में विधायक लिखा हुआ था। पास से देखने पर बीचों-बीच प्रतिनिधि लिखा गया था। वाहन चालक ने मौके पर पुलिसकर्मियों पर राजनीतिक रसूख का रौब दिखाने का प्रयास भी किया, लेकिन एक न चली और चालान भरना पड़ा। इतना ही नहीं इस वाहन पर हूटर और गोल लाइटें लगाई गई थीं, उन्हें भी निकलवाया गया। यही पर एक काले रंग की स्कार्पियों के शीशों पर फिल्म चढ़ी थी, जिसे उतरवाया गया।